*कटनी नगर निगम में ठेकेदारों की मनमानी: स्ट्रीट लाइट परियोजना निरस्त, दो साल का प्रतिबंध, लेकिन व्याप्त भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी*

CHIEF EDITOR -NEERAJ PANDEY



*कटनी नगर निगम में ठेकेदारों की मनमानी: स्ट्रीट लाइट परियोजना निरस्त, दो साल का प्रतिबंध, लेकिन व्याप्त भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी*


कटनी, 13 सितंबर 2025 (विशेष संवाददाता): शहर की मूलभूत सुविधाओं को झुलसाने वाली ठेकेदारों की लापरवाही पर नगर निगम ने सख्त कदम उठाया है। निगमायुक्त श्री नीलेश दुबे ने 'अ' श्रेणी के विद्युत ठेकेदार विजया कंस्ट्रक्शन की निविदा को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत परफॉर्मेंस गारंटी एवं अतिरिक्त परफॉर्मेंस गारंटी राशि को राजसात कर लिया गया है। निगम की सभी भावी निविदाओं में भाग लेने पर दो वर्ष के लिए पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह कार्रवाई स्ट्रीट लाइट स्थापना कार्य में लगातार अवहेलना और अनुबंध उल्लंघन के कारण की गई है, जो शहरवासियों की सुरक्षा और विकास को सीधे प्रभावित कर रही थी।

यह मामला कटनी के कटाए घाट मोड़ स्थित श्री हनुमान मंदिर से कटाए घाट नदी तक स्ट्रीट लाइट लगाने के कार्य से जुड़ा है। 26 मई 2022 को जारी निविदा के अनुसार, इस परियोजना को 60 दिनों के भीतर पूर्ण करना था। लेकिन ठेकेदार विजया कंस्ट्रक्शन ने न तो निर्धारित समयसीमा में कार्य प्रारंभ किया और न ही कोई ठोस जवाब दिया। निगम द्वारा कई सूचना पत्र जारी करने के बावजूद ठेकेदार ने मौन साधे रखा। बाद में मौखिक निर्देशों पर कार्य शुरू तो किया गया, लेकिन मात्र 20 प्रतिशत प्रगति के बाद फिर बंद कर दिया। हाल ही में 15 दिनों के अंदर कार्य पूर्ण करने का अंतिम अल्टीमेटम दिया गया, किंतु ठेकेदार ने निर्देशों की सरेआम अवहेलना की। नतीजा? शहर के इस महत्वपूर्ण इलाके में रातें अंधेरी हो गईं, जहां पैदल यात्री, महिलाएं और बच्चे असुरक्षा का शिकार हो रहे हैं। सड़क प्रकाश व्यवस्था जैसी मूलभूत सुविधा का अभाव अपराध की संभावनाओं को बढ़ावा दे रहा है।

निगमायुक्त दुबे ने इस कृत्य को अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा, "ठेकेदारों की लापरवाही से शहरवासियों का नुकसान हो रहा है। अनुबंध की शर्तों का पालन न करना अस्वीकार्य है। हम ऐसी कार्रवाइयों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस अपनाएंगे।" यह निर्णय न केवल प्रभावित परियोजना को नई दिशा देगा, बल्कि अन्य ठेकेदारों के लिए चेतावनी का काम करेगा।

*कटनी निगम में व्याप्त अनियमितताओं का सिलसिला: अन्य अभिकर्ताओं पर सवाल*

हालांकि यह कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन कटनी नगर निगम में ठेकेदारों की मनमानी और अधिकारियों की निगरानी में चूक का सिलसिला नया नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में कई परियोजनाओं में अनियमितताएं सामने आई हैं, जो सुझाव देती हैं कि समस्या ठेकेदारों तक सीमित नहीं, बल्कि निगम की आंतरिक व्यवस्था में भी व्याप्त है। सूत्रों के अनुसार, निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और चहेतों को फायदा पहुंचाने के आरोप लगातार उठते रहे हैं।

उदाहरण के तौर पर, 2017 में स्वीकृत 96 करोड़ 50 लाख रुपये की सीवर लाइन परियोजना में ठेकेदार कंपनी केके स्पैन ने निर्धारित समयसीमा (मार्च 2020) का पालन नहीं किया। कार्य अधर में लटक गया, जिससे शहर में सीवर जाम और जलभराव की समस्या बढ़ी। पिछले साल दो बच्चों की गड्ढे में गिरने से मौत हो गई, जो ठेकेदार की लापरवाही का जीता-जागता प्रमाण था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनवरी 2024 में इसकी जांच के निर्देश दिए थे, लेकिन रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हुई। निगम ने कंपनी को नोटिस तो जारी किया, लेकिन लाइसेंस रद्द करने जैसी सख्ती नहीं बरती गई। क्या यह ठेकेदारों को संरक्षण देने का संकेत है?

इसी तरह, उज्ज्वला अभियान के तहत स्ट्रीट लाइट लगाने की योजनाओं में भी देरी और घटिया सामग्री की शिकायतें आम हैं। स्थानीय पार्षदों का आरोप है कि कुछ ठेकेदारों को एक ही परियोजना में कई निविदाएं थमा दी जाती हैं, जबकि गुणवत्ता जांच का ढीलापन रहता है। एक पार्षद ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "निगम के इंजीनियरिंग विंग में निगरानी की कमी है। ठेकेदार कार्य शुरू तो करते हैं, लेकिन भुगतान के बाद गायब हो जाते हैं। इससे शहर के कई इलाकों में स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं, जो अपराध और दुर्घटनाओं को न्योता दे रही हैं।"

मध्य प्रदेश के अन्य निगमों की तुलना में कटनी का मामला और गंभीर है। कानपुर नगर निगम में स्ट्रीट लाइट टेंडरों में घटिया क्वालिटी की आपूर्ति पर पार्षदों ने हंगामा किया, जहां ठेकेदारों ने 18 प्रतिशत तक ऊंची दरें भरीं लेकिन सामान मानक से नीचे दिया।गुरुग्राम के मानेसर निगम में अधिकारियों पर चहेते ठेकेदारों को अधिक दाम पर टेंडर देने का आरोप लगा, जिससे सड़कें अंधेरी पड़ी रहीं। पुणे म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन में एलईडी स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट में ठेकेदार को 98.5 प्रतिशत लाभ का हिस्सा देकर निगम को महज 1.5 प्रतिशत मिला, जो भ्रष्टाचार के आरोपों को जन्म दे रहा है। कटनी में भी ऐसी मिलीभगत की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।

नागरिक संगठनों ने मांग की है कि निगमायुक्त दुबे द्वारा की गई कार्रवाई को व्यापक बनाया जाए। सभी लंबित परियोजनाओं की ऑडिट कराई जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो। एक वरिष्ठ नागरिक ने कहा, "ठेकेदारों को सजा देना अच्छा है, लेकिन निगम की व्यवस्था में सुधार न हुआ तो समस्या दोहराई जाएगी। शहरवासी अंधेरे में जीने को मजबूर नहीं हो सकते।"

नगर निगम ने घोषणा की है कि प्रभावित स्ट्रीट लाइट परियोजना को नए ठेकेदार से शीघ्र पूरा कराया जाएगा। उम्मीद है कि यह कदम कटनी को रोशनी और पारदर्शिता की ओर ले जाएगा

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